
Pratiman, Volume 13, January-June 2019 (Click to Read)
अनुक्रम
सम्पादकीय
बहुसंख्यकवादी समय में लोकतंत्र और विमर्श की चिंताएँ
सामयिकी
जनता का सम्प्रभु और बहुसंख्यकवाद / पार्थ चटर्जी
अनुवाद : नरेश गोस्वामी
हिंदू-ध्रुवीकरण या अधिनायकवादी लोकलुभावनवाद? / रंजन पांडेय
सोशल मीडिया और मतदाता / कमल नयन चौबे
दृष्टि
दलित आंदोलन के लिए गाँधी-आम्बेडकर बहस के सबक़ / निशिकांत कोलगे
अनुवाद : तुषार कांत
परिप्रेक्ष्य
साम्प्रदायिक हिंसा और मुसलमानों की नुमाइंदगी / हिलाल अहमद
अनुवाद : ध्रुव नारायण
मुख्य लेख
बदलता हुआ संघ परिवार और मध्यमार्गी विमर्श की जड़ता / अभय कुमार दुबे
परिसंवाद / भाषा और वि-उपनिवेशीकरण पर एकाग्र
अंग्रेज़ी और हम /आदित्य निगम, श्रीश चौधरी, हृदयकांत दीवान, प्रबाल दासगुप्ता, राधावल्लभ त्रिपाठी, प्रथमा बनर्जी, राकेश पाण्डेय, अभय कुमार दुबे, हिलाल अहमद, सतेन्द्र कुमार, राजकुमार, वीणा नरेगल, मुकुल प्रियदर्शिनी, बैदिक भट्टाचार्य, सतीश देशपाण्डे, कंचन शर्मा और ज्योति दिवाकर
प्रतिलेखन और सम्पादन : कंचन शर्मा
विशेष लेख
सिद्धांत का कर्म : परम्पराओं के आर-पार चिंतन / प्रथमा बनर्जी, आदित्य निगम और राकेश पाण्डेय
अनुवाद : नरेश गोस्वामी
साक्षात्कार
आधुनिकता और पेगन सभ्यताएँ /सुरेश शर्मा से उदयन वाजपेयी की लम्बी बातचीत
समीक्षा
आधुनिकता और संस्कृति के अंतर्संबंध / शम्भू जोशी
धर्मों की विकासवादी अवधारणा / प्रदीप कांत चौधरी
एक सांसद का समाधानपरक ग्रामीण चिंतन / देवेश विजय
हिंदी की हक़ीक़त और हिंदुस्तानी का अप्राप्य आदर्श / ज्ञानेन्द्र कुमार संतोष
साहित्येतिहास की दरारों के बीच / राजकुमार
हिंदू बनाम हिंदुत्व : आत्म-बोध बनाम सामाजिक पहचान / आलोक टंडन
संधान
भाषा, धर्म और राष्ट्र : हिंदी साहित्य सम्मेलन, 1910-1935 / शुभनीत कौशिक
प्रवास में स्त्रियों की अनदेखी : सरकारी आँकड़ों की वैधता / नेहा राय
अधिकार, बीमा और समानता : स्वास्थ्य सेवाएँ और उप्र की स्त्रियाँ / श्वेता पाल
बग़ावत पर सोचते हुए बाग़ी : उपलब्धियाँ, विषाद और अवसाद / बनस्मिता बोरा
स्मृति-शेष
नामवर सिंह : हिंदी के पहले बुद्धिजीवी समीक्षक की नामवरी / सुधीश पचौरी
सुरेश शर्मा : सभ्यता की संवेदना / शैल मायाराम
अनुवाद : नरेश गोस्वामी
कुँवर नारायण : उत्तर-समय में शब्दों की गवाही / पंकज कुमार बोस
कृष्णा सोबती : प्रेम की स्त्री-भाषा / रश्मि रावत
गिरीश कारनाड : मन की अबूझ लिखावटें / प्रयाग शुक्ल
दस्तावेज़
हाय! हुआ मैं नहीं बिहारी कवि के युग में / नामवर सिंह
किताबें मिली / मनोज मोहन
Volume 13, January-June 2019 (Click to Read)