
इंस्टीट्यूट ऑफ़ इंडियन थॉट, सीएसडीएस
द्वारा आयोजित व्याख्यान के लिए पधारें
रामचरितमानस का जनवादी स्वर
वक्ता: अखिलेश मणि शाण्डिल्य
अध्यक्षता: राजीव भार्गव
शुक्रवार, 20 नवंबर 2023, 4.30 बजे शाम
सीएसडीएस सेमिनार रूम
29 राजपुर रोड, दिल्ली-110054
(चाय : शाम चार बजे)
तुलसी कहते हैं : "शास्त्र सुचिंतित पुनि पुनि देखिअ"। अभिप्राय यह कि ग्रंथों को बार-बार देखते-पढ़ते रहें। फिर ग्रंथ आप पर नित नवीन अर्थों में खुलते हैं। पुनर्पाठ की परंपरा भी रही है साहित्य में कि फिर से पढ़िए। भावार्थों का जन्म इससे भी तय होता है कि आप कहाँ खड़े होकर पढ़ रहे हैं! कई बार कुछ अत्यंत महत्वपूर्ण ग्रंथों की टीकाओं, व्याख्याओं और लोकवृत्त में व्याप्ति पा गये भावार्थों को देखने पर मन में एक संदेह उठता है कि क्या इन्हें ठीक जगह से पढ़ा/देखा गया है?
रामचरितमानस ऐसा ही एक ग्रंथ है। कथावाचन की प्रचलित परंपरा में ख़ास तौर पर और मानस संबंधी कृतियों में आमतौर पर रामचरितमानस के जनवादी स्वर की उपेक्षा हुई लगती है। प्रस्तुत व्याख्यान का मूल उद्देश्य रामचरितमानस के उसी जनवादी स्वर का रेखांकन है - "कृपा सिंधु जनहित तनु धरहीं"
अखिलेश मणि शाण्डिल्य ने एक प्रवचन-कर्ता के रूप में विशेष ख्याति प्राप्त की। पिछले तीस वर्षों में विशेषकर रामकथा एवं अन्यान्य धार्मिक/सामाजिक/सांस्कृतिक और आध्यात्मिक विषयों पर क़रीब पाँच हज़ार व्याख्यान कर चुके हैं। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में व्याख्यान और साक्षात्कार प्रकाशित हो चुके हैं.
राजीव भार्गव – निदेशक, पारेख इंस्टीट्यूट ऑफ़ इंडियन थॉट, सीएसडीएस, दिल्ली.