प्रतिमान : समय समाज संस्कृति
समाज-विज्ञान और मानविकी की पूर्व-समीक्षित अर्धवार्षिक पत्रिका
वाणी और सीएसडीएस का संयुक्त प्रकाशन
बारह साल पहले विकासशील समाज अध्ययन पीठ (सीएसडीएस) के भारतीय भाषा कार्यक्रम ने हिंदी में व्यवस्थित अनुसंधानपरक चिंतन और लेखन को बढ़ावा देने की शुरुआत की थी। अब यह उद्यम अपने दूसरे चरण में पहुँच गया है। पहला दौर मुख्यतः अंग्रेज़ी में और यदा-कदा अन्य भारतीय भाषाओं में लिखी गयी बेहतरीन रचनाओं को अनुवाद और सम्पादन के ज़रिये हिंदी में लाने का था। इसमें मिली अपेक्षाकृत सफलता के बाद अंग्रेज़ी से अनुवाद और सम्पादन पर ज़ोर क़ायम रखते हुए भारतीय भाषाओं में भी समाज-चिंतन की दिशा में बढ़ने की ज़रूरत महसूस हो रही थी। लेकिन इस पहलक़दमी के साथ व्यावहारिक और ज्ञानमीमांसक धरातल पर एक रचनात्मक मुठभेड़ की पूर्व-शर्त जुड़ी हुई थी। सीएसडीएस के स्वर्ण जयंती वर्ष में वाणी प्रकाशन द्वारा समाज-विज्ञान और मानविकी की अर्धवार्षिकी पूर्व-समीक्षित पत्रिका प्रतिमान समय समाज संस्कृति का प्रकाशन इस शर्त की आंशिक पूर्ति है।
पिछले कुछ वर्षों में अध्ययन पीठ के संकाय में अंग्रेज़ी के साथ-साथ हिंदी में भी लेखन करने वाले विद्वानों की संख्या बढ़ी है। साथ ही भारतीय भाषा कार्यक्रम के इर्द-गिर्द कुछ युवा और सम्भावनापूर्ण अनुसंधानकर्ता भी जमा हुए हैं।प्रतिमान का मक़सद इस जमात की ज़रूरतें पूरी करते हुए हिंदी की विशाल मुफ़स्सिल दुनिया में फैले हुए अनगिनत शोधकर्ताओं तक पहुँचना है। समाज-चिंतन की दुनिया में चलने वाली सैद्धान्तिक बहसों और समसामयिक राजनीतिक-सामाजिक-सांस्कृतिक विमर्श का केंद्र बनने के अलावा यह मंच अन्य भारतीय भाषाओं की बौद्धिकता के साथ जुड़ने के हर मौक़े का लाभ उठाने की फ़िराक़ में भी रहेगा।
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The inaugural lecture at the launch of the journal Pratiman: Samay, Samaj, Sanskriti was delivered by noted Urdu and Persian scholar, novelist and critic, Shamsur Rahman Faruqi. (Click to View)