Nadi, Nishad Evam Samajiki: Lecture by Rama Shanker Singh

भारतीय भाषा कार्यक्रम, सीएसडीएस द्वारा आयोजित 

प्रतिमान-व्याख्यान शृंखला में आपका स्वागत है

शास्त्र, अभिलेखागार और मानवीय अनुभव

नदी, निषाद एवं सामाजिकी 

वक्ता: रमाशंकर सिंह

अध्यक्षताप्रभात कुमार

सोमवार 13 जून, 2022, शाम 4:30 बजे

व्याख्यान सेमिनार रूम तथा Zoom पर भी होगा. 

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हाशिये पर स्थित समुदायों की कहानी कहने के लिए कोई एक तरीक़ा नाकाफ़ी है। उनकी कुछ न कुछ बात हमेशा छूट जाती है या छोड़ दी जाती है। शास्त्र और अभिलेखागारों की मदद से किसी समुदाय की निर्मिति, उसका इतिहास और विभिन्न प्रकार के बहिष्करण, हिंसा और भेदभाव को समझा तो जा सकता है लेकिन इस प्रविधि में उसका ‘जीवंत अनुभव’ ग़ायब रहता है, रोज़मर्रा की राजनीति ग़ायब रहती है। ऐसी स्थिति में एथ्नॉग्रफ़ी शोधकर्त्ता की मदद करती है। इस पृष्ठभूमि में यह व्याख्यान नदी और निषादों की कहानी आपसे साझा करना चाहता है।

रमाशंकर सिंह डॉ. अम्बेडकर विश्वविद्यालय, दिल्ली में एकेडेमिक फ़ेलो हैं। उन्होंने पीएलएसआई के उत्तर प्रदेश खंड के लिए लेखन, अनुवाद और सम्पादन का काम किया है। उत्तर प्रदेश के घुमंतू एवं ‘विमुक्त’ समुदायों पर काम करने के साथ ही उन्होंने आईआईएएस, शिमला में फ़ेलो रहते हुए नदी पुत्र (सेतु प्रकाशन, 2022) लिखी है।

प्रभात कुमार सीएसडीएस में असिस्टेंट प्रोफ़ेसर हैं.